Corynespora cassiicola
फफूंद
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टारगेट स्पॉट मुख्यतः पत्तियों का रोग है। पत्तियों पर गोल से असमान लाल-कत्थई पीले हरे रंग के किनारों वाले धब्बे दिखाई देते हैं। इन धब्बों की बढ़त से प्रायः हल्के और गहरे कत्थई रंग का एक इलाके जैसा नमूना दिखाई देता है इसलिए इसका नाम निशाना लगाना सीखने के लिए इस्तेमाल टारगेट स्पॉट पड़ा है। तने और डंठल भी इससे प्रभावित हो सकते हैं और आम तौर पर इन पर गहरे कत्थई घाव या लम्बे घाव दिखते हैं। बाद में फलियों पर छोटे, गोल काले धब्बे नज़र आ सकते हैं। अधिक संक्रमण होने पर पत्तियां समय से पहले झड़ सकती हैं।
टारगेट स्पॉट रोग के विरुद्ध कोई अन्य वैकल्पिक उपचार उपलब्ध नहीं है।
हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हों, का उपयोग किया जाए। कवकरोधकों का प्रयोग शायद ही कभी आर्थिक रूप से लाभप्रद होता हो। पायराक्लोस्ट्रोबिन, इपोक्सीकोनाज़ोल और फ़्लुक्सापारोक्साड या बिक्साफ़ेन, प्रोथियोकोनाज़ोल और ट्राईफ़्लोक्सीस्ट्रोबिन के मिश्रण वाले उत्पादों का उपयोग फफूंद के नियंत्रण में सहायक हो सकता है।
फफूंद कोरन्सपोरा कैसिकोला पौधों के अवशेषों में और मिट्टी में सर्दियों में भी जीवित रहता है। संक्रमण के लिए अनुकूल परिस्थितियां उच्च नमी (>80 %) और पत्तियों पर अधिक नमी है। शुष्क मौसम इस रोग की बढ़त को दबा देता है। यह रोग देर से पकने वाली प्रजातियों या अधिक वर्षा के मौसम के प्रति संवेदनशील प्रजातियों में अधिक गंभीर होता है।