सिट्रस (नींबू वंश)

सिट्रस येलो मोज़ाएक वायरस (नींबू वंश का पीला चित्तीदार विषाणु)

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वाइरस

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संक्षेप में

  • पत्तियों पर पीले रंग के पैटर्न।
  • फलों की सतह और रंग असामान्य होते हैं।

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सिट्रस (नींबू वंश)

लक्षण

लक्षण नई पत्तियों पर छोटे पीले धब्बों के रूप में शुरू होते हैं, जो बाद में बड़े हो जाते हैं और शिराओं के बगल में चमकीले पीले स्वरूप बनाते हैं। पुरानी पत्तियां चमड़े जैसी हो जाती हैं और नई पत्तियाँ छोटी रह जाती हैं। फलों पर पीले धब्बे और उभरे हुए हरे धब्बे बन जाते हैं। पेड़ के विकास और फल के उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है।

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जैविक नियंत्रण

इस समस्या के लिए जैविक नियंत्रण संभव नहीं है।

रासायनिक नियंत्रण

वायरस को नियंत्रित करने के लिए रोगवाहक का रासायनिक नियंत्रण काफ़ी नहीं है। नए पौधे उगाने के लिए हमेशा विषाणु मुक्त शाखा का इस्तेमाल करें।

यह किससे हुआ

सिट्रस येलो मोज़ाएक वायरस (सी.ए.एम.वी.) सबसे पहले भारत में पाया गया था और अब वहाँ के आंध्र प्रदेश राज्य में आम है, जहाँ सिट्रस लंबे पैमाने पर उगाया जाता है। यह रोग उगाने के लिए इस्तेमाल दूषित शाखा से फैल सकता है और कई व्यावसायिक पौधशालाओं में इस रोग के मामले सामने आए हैं। विषाणु सिट्रस मिलीबग और दूषित उपकरणों से भी फैल सकता है। विषाणु एक पेड़ से दूसरे पेड़ तक अमरबेल से जा सकता है, जो एक आम खरपतवार है।


निवारक उपाय

  • नए पौधे उगाने के लिए सिर्फ़ विषाणु-मुक्त प्रमाणित शाखा का ही इस्तेमाल करें।
  • सिट्रस मिलीबग (प्लानोकोकस सिट्री) को विषाणु का रोगवाहक माना जाता है, इसलिए इस कीट का नियंत्रण उपयोगी रहता है।
  • खेत से खरपतवार हटा दें, ख़ासतौर से अमरबेल।
  • विभिन्न पेड़ों में उपयोग के बीच हमेशा अपने उपकरणों को साफ़ करें।
  • प्रतिरोध के लिए प्रजनन अभी तक उपलब्ध नहीं है और शुरुआती चरणों में पहचान के लिए अभी भी संवेदनशील नैदानिक उपकरण मौजूद नहीं हैं।

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