सिट्रस (नींबू वंश)

नींबू वंश का झुलसा

Pseudomonas syringae pv. syringae

बैक्टीरिया

5 mins to read

संक्षेप में

  • पत्तियों के किनारे के आधार पर पानी से भीगे दाग़ और डंठल पर काले क्षेत्रों की मौजूदगी।
  • पत्तियाँ सूख और मुड़ जातीं हैं लेकिन फिर भी शाखा से जुड़ी रहती हैं।
  • संतरे के फलों पर छोटे काले धब्बे।

में भी पाया जा सकता है


सिट्रस (नींबू वंश)

लक्षण

रोग के विशिष्ट लक्षण पत्तियों के आधार पर पानी से भीगे दाग़ और डंठल पर काले दागों की उपस्थिति है। बाद में, ये घाव पत्तियों की मध्यशिरा और डंठल के आधार के आस-पास की टहनियों तक बढ़ जाते हैं। कुछ समय बाद पत्तियाँ सूख और मुड़ जाती हैं लेकिन फिर भी शाखा से मजबूती से जुडी रहती हैं। अंत में वे प्रायः बिना डंठल के ही झड़ जाती हैं। टहनियों पर मृत हिस्से आकार में बढ़ते जाते हैं और यदि टहनियाँ इनसे पूरी तरह से घिर जाएं तो 20 -30 दिन में अंततः मर जाती हैं। पौधशाला में पौधे कुछ ही दिन में झुलस जाते हैं, लक्षण कुछ हद तक फाइटोप्थोरा के हमले के समान होते हैं। गर्म या सूखे मौसम में लक्षण कम गंभीर या गायब हो जाते हैं। फलों में संक्रमण कभी-कभी संतरों में छिलके पर छोटे काले गड्ढों के रूप में दिखता है। संतरे, नींबू और नारंगी के पेड़ों में सबसे गंभीर लक्षण नज़र आते हैं।

Recommendations

जैविक नियंत्रण

आज तक, इस रोग के प्रकोप या तीव्रता को नियंत्रित करने के लिए कोई भी जैविक उपचार ज्ञात नहीं है। यदि आप कोई उपाय जानते हैं तो कृपया हमें सूचित करें। कॉपर के फार्मूलेशन जैसे कि बोर्डो मिश्रण का छिड़काव स्वीकार्य है और जैविक रूप से प्रबंधित नींबू वर्गीय पौधों के बाग़ों में भी इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा एक समेकित दृष्टिकोण से रोकथाम उपायों के साथ-साथ उपलब्ध जैविक उपचारों को अपनाएं। कॉपर के फार्मूलेशन जैसे कि बोर्डो मिश्रण का छिड़काव स्वीकार्य है और इसके इस्तेमाल की सलाह दी जाती है। इसे जैविक रूप से प्रबंधित नींबू वर्गीय पौधों के बाग़ों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। हर वर्ष ठंडी, नम अवधियों की शुरुआत के समय उपचार का इस्तेमाल करें। क्युप्रिक हाइड्रॉक्साइड में फेरिक क्लोराइड या मैंकोजेब मिलाकर उन किस्मों पर नियंत्रण पाया जा सकता है जिन्होंने समय के साथ प्रतिरोध विकसित कर लिया है।

यह किससे हुआ

नींबू वंश के पौधों का झुलसा सीडोमोनस सिरिंजी पीवी. सिरिंजी के कारण होता है जो सिट्रस की विभिन्न प्रजातियों को संक्रमित करता है। ये जीवाणु आम तौर पर पत्तियों की सतह पर रहते हैं और लंबी अवधि तक नम मौसम के दौरान रोग उत्पन्न करते हैं। ये पौधे के ऊतकों में पत्तियों के प्राकृतिक छिद्रों या कटाव या फिर तने पर हुए घावों से प्रवेश करते हैं। ऊतकों पर लगी चोट, जैसे कि हवा, तेज वर्षा, रेत की आँधी या पाले के कारण लगी चोट से जीवाणु का पौधे में प्रवेश आसान हो होता है। संक्रमण होने के लिए कई दिन तक पत्तियों में भरपूर नमी आवश्यक होती है। पूर्ण रूप से विकसित न होने या सर्दियों से पहले मजबूत न होने वाली नई पत्तियों पर हमले की आशंका सबसे अधिक होती है।


निवारक उपाय

  • हवा के कारण नुकसान रोकने के लिए अपेक्षाकृत कम कांटों वाली झाड़ीनुमा किस्मों का इस्तेमाल करें।
  • पेड़ों को तेज हवा से बचाने के लिए वायु अवरोधकों की योजना बनाएं।
  • रोग का प्रसार रोकने के लिए वसंत में बारिश होने के बाद मृत या रोगग्रस्त टहनियां छाँट दें।
  • वसंत या ग्रीष्म की शुरुआत में उर्वरक डालें क्योंकि इससे जीवाणुओं के लिए प्रतिकूल परिस्थितियों में नई बढ़वार को बढ़ावा मिलेगा।

प्लांटिक्स डाउनलोड करें