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प्याज़ की मक्खियां के लार्वा

Delia platura

कीट

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संक्षेप में

  • मक्खियों के लार्वा फूट रहे अंकुरों व बीजों को खाते हैं, जिससे उग रहे ऊतकों को हानि पहुँचती है।
  • नई पत्तियों पर कीड़े के खाने के कारण हुआ नुकसान स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • ये अंकुर सूखे-कुम्हलाये हुए, छोटे, विकृत पौधों में विकसित होते हैं, जो कम उपज प्रदान करते हैं।
  • इस कीट के लिए गीली भूमि के साथ लंबी अवधि तक रहने वाला ठंडा मौसम और उच्च नमी अनुकूल होती हैं।

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लक्षण

मक्खियों के लार्वा भूमि में मौजूद जैविक पदार्थों व अंकुरित होते बीजों को खाती हैं। वे बीजों में बिल भी खोदती हैं, जिसके कारण अक्सर उगते हुए ऊतक नष्ट हो जाते हैं तथा नए अंकुर नही फूटते हैं। अगर वे ज़रा-सा भी विकसित होते हैं, तो नई पत्तियों पर मक्खियों के खाने के कारण हुआ नुकसान स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इसके परिणामस्वरूप ऊतक सड़ सकते हैं। ये अंकुर सूखे-कुम्हलाये हुए, छोटे, विकृत पौधों में विकसित होते हैं, जो निम्न गुणवत्ता वाले कम बीजों को पैदा करते हैं और इसके परिणामस्वरूप कम उपज प्राप्त होती है। अगर भूमि गीली है, और लंबी अवधि तक ठंडा मौसम और उच्च नमी रहती है, तो काफ़ी अधिक नुकसान हो सकता है।

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जैविक नियंत्रण

अपने भूमि के नीचे के जीवन के कारण, प्याज़ के इन लार्वा के अधिक संख्या में शत्रु नही दिखाई देते हैं। यद्यपि, भूमि में पाए जाने वाले गुबरैले/भौरे, मकड़ियाँ और पक्षी वयस्कों को अवश्य खाते हैं। यह लार्वा फफूंद के द्वारा होने वाले रोग से प्रभावित हो सकता है। हाँलाकि, परभक्षियों के साथ-साथ फफूंद से होने वाले रोगों के द्वारा पर्याप्त नियंत्रण नहीं प्राप्त होता है। मक्खियाँ स्वाभाविक रूप से चमकदार रंगों की ओर आकर्षित होती हैं, इसलिए इन्हें साबुन के पानी से भरी चमकदार बाल्टी में पकड़ा जा सकता है।

रासायनिक नियंत्रण

अगर उपलब्ध हो, तो जैविक उपचारों के साथ रक्षात्मक उपायों वाले एक संयुक्त दृष्टिकोण पर हमेशा विचार करें। मक्खी के लार्वा को दूर करने के लिए कीटनाशक द्वारा बीजों का उपचार किया जा सकता है। कीटनाशकों का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन अपने देश में लागू प्रतिबंधों के बारे में जानकारी हासिल करें। भूमि पर प्रयोग किए जाने वाले कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है।

यह किससे हुआ

लक्षण डेलिया प्लेटुरा और डी. एंटिकुआ मक्खियों के लार्वा के कारण होते हैं। वयस्कों का रंग घर की मक्खियों के समान होता है, लेकिन वे अधिक छोटी तथा अधिक पतली होती हैं। वे ठंड का मौसम पुरानी जड़ों व पौधों के अवशेषों के पास की भूमि में बिताती हैं। वसन्त ऋतु में, लगभग बीजों के रोपण के साथ ही, वयस्क प्रकट हो जाते हैं। मादाएं सड़ रहे पदार्थ या खाद की बड़ी मात्रा से युक्त नमीदार भूमि में अण्डे देती हैं। पीले-सफ़ेद रंग के लार्वा एक सप्ताह बाद अण्डों से बाहर आने लगते हैं और फिर वे सड़ रहे जैविक पदार्थ व अंकुरों को खाने लगते हैं। नुकसान ठंडी, नमीदार मौसम की स्थितियों में अधिक होता है, जो इस कीट के जीवन चक्र और इसके खाने की क्रिया के लिए अनुकूल होती हैं। गर्म व धूप का मौसम अण्डों के स्थान में बदलाव के लिए बाधक होता है और इस स्थिति में पौधा अधिक तेज़ी से तथा मज़बूती के साथ उगता है।


निवारक उपाय

  • बहुत कम जैविक अवयवों के साथ सूखी भूमि में रोपण करें।
  • गर्म व धूप वाले मौसम में छिछला पौधरोपण करना सुनिश्चित करें।
  • अगर जैविक खाद का प्रयोग कर रहे हैं, तो पौधारोपण करने से पहले कुछ सप्ताह तक प्रतीक्षा करें।
  • घास जैसे पौधों की रक्षा करने व उन्हें पोषण प्रदान करने के लिए लगाई गई फसलों का उपयोग करें।
  • बीजों को सावधानीपूर्वक हाथ लगाएं ताकि आप उन्हे क्षति ना पहुँचाएं।
  • खेतों में व खेतों के चारों ओर खरपतवारों को नष्ट करें।
  • आपकी बीज की क्यारियों पर एक महीन जालीदार जाल मक्खियों को दूर रखेगा।
  • जोतकर पौधों के अवशेषों को भूमि में गहरा गाड़ दें।

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