धान

चावल का केस वार्म

Parapoynx stagnalis

कीट

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संक्षेप में

  • पत्तियों का समकोण पर कटा होना।सीढ़ीनुमा बनावट।
  • पीले सिर वाला हरा लार्वा।
  • वयस्क सफेद कीट होते हैं।

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1 फसलें

धान

लक्षण

पी. स्टैग्नेलिस के लार्वा के कारण पत्तियों पर रेखीय कटाई देखी जाती है। चावल के केस वार्म चावल की पत्तियों के शीर्ष को समकोण पर काट कर पत्तियों के खोल बना देते हैं। केसवार्म से हुई हानि की विशेषता हैं, पत्तियों का समकोण पर कटा होना है, जैसे उन्हें कैंची से काटा गया हो, और पत्तियों के खोल का पानी पर तैरना। लार्वा पत्तियों के ऊतकों को खुरच कर भोजन करते है, जिससे पत्तियों की ऊपरी कागज़ जैसी सतह शेष रहती है। जिन पत्तियों को खाया गया हो उन पर कड़े रेशों की सीढ़ीनुमा बनावट रहती है। हानि के लक्षणों का अन्य पत्तियों के झड़ने के लिए ज़िम्मेदार कीटों के साथ भ्रम हो सकता है। केस वार्म निश्चित करने के लिए, आँखों से निरीक्षण करें: पहले, पत्तियों के ऊतकों का सीढ़ीनुमा होना; दूसरा कटी हुई पत्तियाँ; तथा तीसरा पत्तियों के आवरण से जुड़े हुए तथा पानी में तैरते हुए पत्तियों के खोलों की उपस्थिति।

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जैविक नियंत्रण

जैविक नियंत्रक कारकों जैसे कि घोंघा (अण्डों पर पलता है), हाइड्रोफ़िलिड तथा डायटिसिड जलीय कीट (लार्वा पर पलते हैं), मकड़ियाँ, ड्रैगनफ़्लाई और पक्षियों (वयस्कों पर पलते हैं) को बढ़ावा दें। जिन स्थानों पर कीट पाए जाएँ वहाँ नीम की पत्तियों के सत या राख का छिड़काव करें।

रासायनिक नियंत्रण

हमेशा समवेत उपायों का प्रयोग करना चाहिए, जिसमें रोकथाम के उपायों के साथ जैविक उपचार, यदि उपलब्ध हो, का उपयोग किया जाए। आधिकारिक कार्बामेट कीटनाशकों का उपयोग पत्तियों पर छिड़काव के लिए करें और पायरेथ्रोइड से बचे क्योंकि कीट इसके प्रतिरोधी हो चुके हैं।

यह किससे हुआ

यह कीट नम भूमि और सिंचित वातावरण दोनों में अधिकतर जमे हुए पानी वाले चावल के खेतों में पाया जाता है। यह खेत और उसके आसपास खर-पतवार और जंगली चावल पर पनपता है और अनुकूल परिस्थितियां होने पर चावल की नई फ़सल को संक्रमित करता है। तरुण पौधों की रोपाई भी इस कीट के विकास के लिए अनुकूल है। ख़राब प्रारंभिक खेती और ज़िंक की कमी वाली मिट्टी फ़सल को इस रोग के प्रति संवदेनशील बना देती है। परंतु, इन सब के बावजूद, यह कीट सामान्यतः चावल के खेतों में कम जनसंख्या में पाया जता है।


निवारक उपाय

  • जल्द रोपाई से घटना से बचा जा सकता है।
  • रोपाई के समय पौधों के बीच अधिक स्थान (30 X 20 सेमी) का प्रयोग करें।
  • पुराने छोटे पौधों को रोपें तथा शेष बचे संभावित अण्डों को नष्ट कर दें।
  • खेत से पानी निकाल दें तथा 2-3 दिनों के बाद पुनः सिंचाई करते समय कीटों को पकड़ने के लिए जाल का प्रयोग करें।
  • सिफ़िरिश किये गए उर्वरकों का ही प्रयोग करें, अत्यधिक उपयोग से बचें।
  • खेत और उसके आसपास अन्य धारक पौधों को समाप्त करने के लिए खर-पतवार और जंगली चावल को हटाएं।

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